Dr. Rahul Rajani

हुस्न कि मलिका

तेरे हुस्न पे क्या लिखू
लब्ज डगमगा रहे हैं
तेरी हँसी सून के बागो में
कलियाँ खिल रही हैं.


चाँदसा मुखडा और
उसपे लहराते बाल
एे हुस्न की मलिका
तु है सच में कमाल.


दिल मे उठती हैं लहरे
एक बात सोचता हुँ
तुझे बनाने वाले की
हालत सोचता हुँ.


वो भी हैरान हुआ होगा
तुझको बनाके.
वाे भी रोया होगा
तुझे जमींपर भेज के.


मै तो होश गवा बैठा हुँ
जबसे तुझे देखा है
खुद को भूल चुका हुँ
जबसे तुझे देखा है.


नहीं कोई आरजू
अब कुछ
बस तुझे देखता रहुँ
और भूल जाऊ सब कुछ.


तू गुजरती है जिधर से
उधर बहार छा जाती है
तुझे देखने वाले बस
देखते रहे जाते है.


ना गुस्सा होना हम पर
गलती नही हमारी
तुझसे नजर नही हटती
ये कमजोरी है हमारी.

मे २०१६

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