1960 से 1975 इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासों में
पाकिस्तान निर्मिती की घटनाएँ और परिणाम : एक अध्ययन
प्रस्तावना:
साहित्य को सामाजिक जीवन का दर्पण कहा जाता है। हर एक काल के महान साहित्यकृतीओ मे समसामयिक घटनाओं, विचारधारा, जनता के मन पर इसके प्रभाव को काल्पनिक पात्रों और घटनाओं के माध्यम से वास्तविक रूप में चित्रित किया जाता है। साहित्य में उस समय के समाज का दर्शन होता है। इसलिए साहित्य को सामाजिक जीवन के अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।
भारत के इतिहास में पाकिस्तान की निर्मिती एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। इसका भारत के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन पर तात्कालिक और दूरगामी परिणाम हुआ हैं। 1945 के आसपास, पाकिस्तान बनाने का विचार गति पकड़ रहा था। अंग्रेजों ने इन विचारों को खाद देने का काम किया। मुस्लिम लीग मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी थी। इस पार्टी ने स्वतंत्र पाकिस्तान के निर्माण की पुरजोर वकालत करनी शुरू कर दी। इस मुद्दे पर मोहम्मद अली जिन्ना का नेतृत्व आगे आया। ये विचार मुस्लिम बहुल गांवों और कस्बों में व्यापक रूप से प्रचारित किए गए थे। स्वतंत्र पाकिस्तान के निर्माण के पीछे के कारण, विचारधारा, इसके लिए चुना गया रास्ता, आम लोगों की प्रतिक्रिया और इस घटना के परिणाम इन सब का चित्रण 1960 से 1975 इस काल के उपन्यासों मे आया हैं।
अनुसंधान कार्य का महत्व:
प्रस्तुत शोध पत्र मे 1960 से लेकर 1975 इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासों में चित्रित स्वतंत्र पाकिस्तान के निर्माण के कारण, इसके पीछे की विचारधारा, इसके लिए चुना गया रास्ता, आम लोगों की प्रतिक्रिया और इस घटना के परिणाम आदि बातों का अध्ययन किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में तत्कालीन हिंदू और मुसलमान, उनके आपसी संबंध, उनका इन घटनाक्रमों की तरफ देखने का दृष्टिकोण, इस घटना का भारत के ग्रामीण क्षेत्रों पर, वहां के लोगों पर, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन इनके उपर पडा हुआ प्रभाव, उस समय की वास्तविकता आदि बातें इस शोध पत्र से सामने आती है।
उद्देश्य:
1) 1960 से 1975 इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासों में चित्रित पाकिस्तान के निर्माण की घटनाए, इस घटना के पीछे के कारण आदि का अध्ययन करना।
2) इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासो में आए हुए चित्रण से ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन पर इस घटना के प्रभावों का अध्ययन करना।
3) इस संबंध में, उस समय के ग्रामीण क्षेत्रों के आम लोगों की मानसिकता, इस घटना के प्रति उनका दृष्टिकोण, आदि बातों को खोजना।
4) 1960 से 1975 इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासों में चित्रित इस घटना के संदर्भ में समानता और अंतर का अध्ययन करना।
परिकल्पना (Hypothesis) :
1) 1960 से 1975 इस काल के मराठी और हिंदी के ‘इंधन’, ‘आधा गांव’, ‘अलग-अलग वैतरणी’ इन ग्रामीण उपन्यासों मे पाकिस्तान के निर्माण की घटना, इस घटना के पीछे के कारण आदि बातों का विस्तृत वर्णन आया हुआ है।
2) भले ही पाकिस्तान के गठन के समय भारत में कई स्थानों पर दंगे हुए थे, लेकिन ग्रामीण इलाकों में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति और सद्भाव बना हुआ था।
3) पाकिस्तान के गठन से ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन पर कई तात्कालिक और दूरगामी प्रभाव हुए हैं।
4) दोनों भाषाओं के ग्रामीण उपन्यासों में पाकिस्तान के निर्माण का यथार्थ चित्रण आया हुआ है, उसमें कुछ समानताएँ और कुछ अंतर हैं।
संशोधन कार्यप्रणाली Research Methodology:
‘1960 से 1975 इस काल के मराठी और हिंदी ग्रामीण उपन्यासों में पाकिस्तान निर्मिती की घटनाएँ और परिणाम : एक अध्ययन’ इस शोध पत्र के लिए वर्णनात्मक, विश्लेषणात्मक (Analytical) आदि अनुसंधान विधियों का उपयोग किया गया है। दो भाषाओं के उपन्यासों के अध्ययन होने के कारण तुलनात्मक समीक्षा पद्धति का उपयोग किया है। साथ ही Primary Data और जहाँ आवश्यक हो वहा पे Secondary Data का इस्तेमाल किया गया है।
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स्वतंत्र पाकिस्तान के निर्माण के पीछे के कारण, विचारधारा, इसके लिए चुना गया रास्ता, आम लोगों की प्रतिक्रिया और इस घटना के परिणाम इन सब का चित्रण 1960 से 1975 तक के उपन्यासों मे निम्नलिखित स्वरूप मे आया हैं।
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