ज्यांनी ‘१२th फेल‘ हा चित्रपट बघितला असेल त्यांनी त्या चित्रपटातील एक प्रसंग आठवा. ज्यात मनोज कुमार शर्मा याला एक आयएएस ऑफिसर ‘मनोज कुमार शर्मा‘ या विषयावर निबंध लिहायला सांगतो. पण तो दिलेल्या वेळेत पुरेसे लिहू शकत नाही. त्यावरून ‘तू ये नही कर सकता‘ असे तो आयएएस ऑफिसर त्याला सांगतो. सांगायचे तात्पर्य आपल्याला जर एखाद्या विषयावर निबंध किंवा २००-४०० शब्दांमध्ये अभ्यासपूर्ण
लिहिता येत नसेल किंवा अभ्यासपूर्ण बोलता येत नसेल तर अनेक परीक्षांमध्ये आपण मागे राहून जातो. ते जमावं म्हणून मी अशा काही विषयांची यादी दिली आहे. जर आपण या विषयांबद्दल वाचले, लिहिण्याचा प्रयत्न केला, तर आपणास करिअरमध्ये नक्की फायदा होईल.
निबंध व वक्तृत्त्व स्पर्धेसाठीचे १०० विषय पुढीलप्रमाणे-
अनुक्रमांक | विषय |
१ | माझी आवड, माझे छंद |
२ | माझा आवडता लेखक |
३ | आधुनिक कृषितंत्रज्ञान |
४ | आधुनिक काळातील अंधश्रद्धा |
५ | शेतीच नसती तर? |
६ | शेतकरी आत्महत्या व युवकांची भूमिका |
७ | डिजिटल इंडियाचे भविष्य |
८ | कोचिंग क्लासेसचे फायदे व तोटे |
९ | रिल्स : विद्यार्थी जीवनात घातक |
१० | पुरोगामी विचारांची देशाला गरज |
११ | आमची माय : सावित्रीबाई |
१२ | पुस्तकप्रेमी बाबासाहेब |
१३ | भारत : काल, आज आणि उद्या |
१४ | युवकांचा राजकारणाकडे पाहण्याचा दृष्टिकोन |
१५ | कोरोनातून आम्ही काय शिकलो? |
१६ | शाळा ऑनलाइनच राहिल्या तर? |
१७ | स्त्रियांची आजची मानसिकता |
१८ | मी का शिकत आहे? |
१९ | शाश्वत विकास आणि पर्यावरण |
२० | भारत महासत्ता कसा बनेल? |
२१ | जल संसाधनांचे महत्त्व |
२२ | म. गांधीजींचे विचार: काळाची गरज |
२३ | युवकांचे प्रेरणास्थान : बाबासाहेब आंबेडकर |
२४ | भारतात संशोधन कसे वाढेल? |
२५ | मोबाईल गेम : घातक व्यसन |
२६ | लेक्चर चुकवून क्रिकेट : करिअरसाठी घातक |
२७ | शेतीमालाला भाव मिळावा! |
२८ | सोशल मीडियाचा विळखा |
२९ | शिक्षण हे वाघिणीचे दूध आहे! |
३० | भारतात धर्मनिरपेक्षता आहे का? |
३१ | महिला अत्याचार : कारणे व उपाय |
३२ | समाजातील संविधानविरोधी कृत्ये |
३३ | शिका, संघटित व्हा आणि संघर्ष करा! |
३४ | माझ्या स्वप्नातील भारत |
३५ | आजची तरुणाई व उत्सव |
३६ | खरे संत कोण? |
३७ | संस्काराने घडतो माणूस! |
३८ | मृत्यू अटळ आहे! |
३९ | खाजगी क्लासेस हवेत की नको? |
४० | जगाचा पोशिंदा |
४१ | शब्दांची शक्ती |
४२ | भारतीय लोकशाहीचे भविष्य |
४३ | माझ्या स्वप्नातील भारत |
४४ | व्यसनात बुडालेली तरुणाई |
४५ | हरवत चाललेला संवाद! |
४६ | ए. आय. : फायदे व तोटे |
४७ | वाढते सायबर गुन्हे |
४८ | वृक्ष संवर्धन |
४९ | टीनएजर्सची मानसिकता |
५० | भारतीय अर्थव्यवस्थेपुढील आव्हाने |
५१ | शेअर मार्केटमधील ट्रेडिंगचे फायदे-तोटे |
५२ | ग्रामीण भागातील शिक्षणाविषयीची अनास्था |
५३ | वाढती धर्मांधता |
५४ | भारत की इंडिया : चर्चा |
५५ | लग्नांमधील अवाजवी खर्च |
५६ | स्त्रियांचे राजकीय क्षेत्रातील योगदान |
५७ | स्वातंत्र्यानंतरचा भारत |
५८ | भारतीय मिडियाची सद्यस्थिती |
५९ | महागडे होत चाललेले शिक्षण |
६० | शिक्षणाची घसरत चाललेली गुणवत्ता |
६१ | अध्यात्म म्हणजे काय? |
६२ | बुवाबाजी : एक आव्हान |
६३ | आधुनिक अंधश्रद्धा |
६४ | मराठी असे आमुचि मायबोली |
६५ | वाढती आर्थिक विषमता |
६६ | भारतीय संघराज्याचे स्वरूप |
६७ | विवेकानंदांचे सामाजिक विचार |
६८ | नरेंद्र दाभोळकर यांचे कार्य व विचार |
६९ | अंधश्रद्धा निर्मुलन समितीची आवश्यकता |
७० | चित्रपटांमधील वाढती हिंसा व अश्लीलता |
७१ | लैंगिक शिक्षण : काळाची गरज |
७२ | मी सरपंच झालो तर? |
७३ | नेता कसा असावा? |
७४ | संतांचे कार्य |
७५ | समाजसुधारकांचे महाराष्ट्राच्या जडणघडणीतील योगदान |
७६ | आर्थिक साक्षरता गरजेची! |
७७ | स्त्रियांच्या आरोग्यविषयक समस्या |
७८ | तरुणांच्या वाढत्या आत्महत्या |
७९ | बिरसा मुंडा : थोर क्रांतिकारक |
८० | दैनंदिनी लिहिण्याचे फायदे |
८१ | आजही पुरुषप्रधान संस्कृती आहे! |
८२ | ई-कचरा : मोठी समस्या |
८३ | माझा आवडता कवी |
८४ | योग्य जोडीदाराची निवड |
८५ | नोकरी की व्यवसाय ? |
८६ | माझे आवडते शिक्षक |
८७ | भ्रष्टाचारमुक्त भारत |
८८ | बेरोजगारी : एक समस्या |
८९ | बालकामगारांचे जीवन |
९० | मोबाईल नव्हता तेव्हा! |
९१ | मनोरंजनाची आधुनिक साधने |
९२ | अतिमनोरंजनाचे व्यसन |
९३ | जगा आणि जगू द्या! |
९४ | हे जीवन सुंदर आहे! |
९५ | चित्रपटांचे बदलते स्वरूप |
९६ | जेव्हा स्त्री शिक्षण नव्हते! |
९७ | जेव्हा शूद्रांना शिक्षण नव्हते! |
९८ | जबाबदार नागरिक : काळाची गरज |
९९ | एकमेका साह्य करू, अवघे धरू सुपंथ |
१०० | माणूस व प्राणी यांतील साम्य-भेद |