यादों के सहारे
जिया नही जाता
तेरा मुझसे बिछडना
सहा नही जाता
मै सब कुछ था
एक दिन तुम्हारे लिए
बस दोस्त रहे जाना
गँवारा नही होता
चलो वक्त बदल गया
ये भी बात सही है
वादों और सपनों का बोझ
उठाया नही जाता
तुम बदल गयी (हाँ तुम बदल गयी)
तुम्हे बदलना ही था
वो भी सच था ,ये भी सच है
पर माना नहीं जाता
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डॉ. राहूल रजनी
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