हुस्न कि मलिका

तेरे हुस्न पे क्या लिखू
लब्ज डगमगा रहे हैं
तेरी हँसी सून के बागो में
कलियाँ खिल रही हैं.


चाँदसा मुखडा और
उसपे लहराते बाल
एे हुस्न की मलिका
तु है सच में कमाल.


दिल मे उठती हैं लहरे
एक बात सोचता हुँ
तुझे बनाने वाले की
हालत सोचता हुँ.


वो भी हैरान हुआ होगा
तुझको बनाके.
वाे भी रोया होगा
तुझे जमींपर भेज के.


मै तो होश गवा बैठा हुँ
जबसे तुझे देखा है
खुद को भूल चुका हुँ
जबसे तुझे देखा है.


नहीं कोई आरजू
अब कुछ
बस तुझे देखता रहुँ
और भूल जाऊ सब कुछ.


तू गुजरती है जिधर से
उधर बहार छा जाती है
तुझे देखने वाले बस
देखते रहे जाते है.


ना गुस्सा होना हम पर
गलती नही हमारी
तुझसे नजर नही हटती
ये कमजोरी है हमारी.

मे २०१६

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