जिस चीज की ख्वाईश की
वो कभी मिली नही.
जो भी मिला
बडी कश्मकश से मिला.
अपने पराये होते रहे
पराये अपने होते गये
हँसना चाहा तो नम हो गई आँखें
रोने गए तो आँसू ही सुख गये.
दिल का दर्द दिल मे रखा
दर्द की एक तसवीर बनाई
कई तसवीरों से ऐसेही
जिंदगी तेरी महफिल सजाई.
ऐ जिंदगी…
तेरा रहम ऐसेही मुझपे रख
जो भी है
जिने मे मजा आ रहा है.
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डॉ. राहूल रजनी
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khup chhan poem ahe sir