चंद रोज की जिंदगी में…

जिंदगी की कड़वाहट को धीरे-धीरे पी रहा हूँ

चंद रोज की जिंदगी में, कुछ रंग भर रहा हूं…

 

अक्सर घिरा रहता हूँ, भीड़ में मगर

उस भीड़ में,अपनों को ढूंढ रहा हूँ

चंद रोज की जिंदगी में, कुछ रंग भर रहा हूँ …१…

 

दोस्तों की कमी नहीं है, आसपास मगर 

दिल से दिल की बात करे, ऐसा दोस्त ढूंढ रहा हूँ

चंद रोज की जिंदगी में, कुछ रंग भर रहा हूँ …२…

 

ना कुछ पाने की खुशी, ना खोने का कुछ गम

अपनी खाली मुट्ठी में, आसमान भर रहा हूँ

चंद रोज की जिंदगी में कुछ रंग भर रहा हूँ …३…

 

मंजिल मेरी सामने हैं, जब चाँहे पहुंच जाऊं 

अकेला कैसे चला जाऊँ, ये बात सोच रहा हूँ

चंद रोज की जिंदगी में कुछ रंग भर रहा हूँ …४…

 

(०५/११/२०१९) 

 

© copyright

डॉ. राहूल रजनी

patilrahulb14@gmail.com

Mob. No. 9623092113

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *