ब्याज August 21, 2020August 21, 2020 Rahul Rajani Poem, हिंदी कविता हमे तो ‘ब्याज’ ने लुटा ‘मुद्दल’ मे कहाँ दम था हम ‘कर्जबाजारी’ तब हुए जब हमारा ‘उत्पन्न’ कम था। © Copyright – डॉ. राहूल Share this:TwitterFacebookTelegramWhatsAppEmailMoreLinkedIn Related